सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा ‘दो दिन से राज्य में हिंसा नहीं, सामान्य स्थिति बहाल हो रही’

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा ‘दो दिन से राज्य में हिंसा नहीं, सामान्य स्थिति बहाल हो रही’

मणिपुर हिंसा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र और मणिपुर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में कल और आज कर्फ्यू में ढील दी गई। दोनों ही दिन वहां हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। केंद्र और मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीएपीएफ के 35 जवान नियुक्त किए गए हैं। अर्धसैनिक और सेना भी तैनात है। पिछले दो दिनों में राज्य में कोई हिंसा नहीं हुई है। सामान्य स्थिति बहाल हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मानवीय संकट है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य से राहत शिविरों में आवश्यक इंतजाम करने को कहा।

आरक्षण मामले की सुनवाई बाद में करने की मांग
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। लोगों के आवास और भोजन उपलब्ध कराने के लिए राहत शिविर भी बनाए गए हैं। सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि आरक्षण मामले की सुनवाई बाद में की जाए। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 17 मई तय की।

कोर्ट स्थिति को स्थिर करना चाहता है: CJI
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केवल कुछ धार्मिक स्थलों को ही नहीं, बल्कि हर जगह लोगों और संपत्ति की रक्षा करनी होगी। आदिवासी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आदिवासियों पर हमले हो सकते हैं। इस पर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट स्थिति को स्थिर करना चाहता है।

10 दिन में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों और आश्वासन पर ध्यान दिया। मेहता ने कोर्ट को बताया कि राज्य में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कदम उठाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार से 10 दिन में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि सॉलिसिटर जनरल के मुताबिक राज्य में हालात सामान्य हो रहे हैं। सीएपीएफ की 52 कंपनियां, मणिपुर में सेना और असम राइफल के 105 कॉलम तैनात हैं। अशांत इलाकों में फ्लैग मार्च किया जा रहा है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया है। केंद्र के एक वरिष्ठ अधिकारी को मुख्य सचिव बनाया गया है। फंसे लोगों की आवाजाही के लिए सुरक्षा बल हरसंभव सहायता मुहैया करा रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल ने दिया यह आश्वासन
सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि शांति बैठक हो चुकी है। लगातार चौकसी बरती जा रही है। सतर्कता के लिए हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है। राहत शिविर हैं और भोजन और चिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं। दो दिनों से कोई हिंसा की सूचना नहीं है, कल कर्फ्यू में कुछ घंटों के लिए ढील दी गई थी। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा बताई गई चिंताओं को दूर किया जाएगा और जरूरी उपाय किए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात
सुप्रीम कोर्ट ने राहत शिविरों में भोजन, चिकित्सा की उचित व्यवस्था करने पर जोर दिया। विस्थापितों के पुनर्वास और धार्मिक पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरतने के लिए जरूरी कदम उठाने को भी कहा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख तय की है।

क्या है मामला?
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय की उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) की ओर से बीते बुधवार को आयोजित आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी। हिंसा धीरे-धीरे पूरे राज्य में फैल गई थी। नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर हाईकोर्ट के 27 मार्च के फैसले का बाद बुलाया गया था, जिसमें राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश दिए गए थे।

भाजपा विधायक ने दायर की है याचिका
मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जे पर मणिपुर हाईकोर्ट की ओर से दिए गए विभिन्न आदेशों को चुनौती देते हुए भाजपा विधायक और पहाड़ी क्षेत्र समिति (एचएसी) के अध्यक्ष डिंगांगलुंग गंगमेई ने अपील दायर की थी। इसमें मेइती को एसटी दर्जे पर मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेशों को चुनौती दी गई है। इसमें कोर्ट के आदेश की आलोचना पर अवमानना नोटिस जारी करना भी शामिल है।

Related posts